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Arun Kumar NirjharOffline

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      Arun Kumar Nirjhar

      3 years, 3 months ago

      *जागृति, पुनरुत्थान – सिलो*

      १) – हमने कहा कि मनुष्य सोचता एक दिशा में है, महसूस दूसरी में और कार्य अन्य दिशा में करता है। इस प्रकार, हर क्षण वह सद्भाव के बिना रहता है और दुनिया में हिंसक रूप से पेश आता है। मानवता की अराजकता आंतरिक असामंजस्य का सरल प्रतिबिंब है।

      २) – इस तरह, न चाहते हुए भी, मनुष्य जो महसूस करता है उसके विरुद्ध कार्य करता है, वह जो सोचता है उसके विरुद्ध महसूस करता है और जो कार्य करता है उसके विरुद्ध सोचता है.

      3) – वो अपनी गलतियों के लिए जिम्मेदार नहीं है क्योंकि वो नहीं जानता कि वो क्या कर रहा है। वो चैन की नींद सोता है और उसका सबसे बड़ा भ्रम उसका सोचना कि वह जाग रहा है।

      4) – हम लोगों के बीच जागृति, अहिंसा और भाईचारे के सिद्धांत का प्रचार करते हैं।

      5). – हम मनुष्य की आंतरिक और बाहिय मुक्ति के लिए कार्य करते हैं।

      ६) – हम कहते हैं: हिंसा का जवाब कभी भी हिंसा से न दें।

      ७) – यह कि सभी को निश्चित रूप से एक ही मानवता के रूप में एकजुट होना चाहिये।

      8)- कि ईश्वर और मृत्यु से पार जीवन को स्वयं की सुप्त गहराई में खोजा जाए। अज्ञात और अपार शक्तियों से भरी उस गहराई में।

      9)- सभी कार्य शांतिपूर्ण हों: शारीरिक अहिंसा; आर्थिक अहिंसा; नस्लीय अहिंसा और धार्मिक अहिंसा।

      10)- हमारा स्थायी कर्तव्य: हर ​​दिन अधिक सामंजस्यपूर्ण विचार, भावना और क्रिया को जागृत करना और साथ ही, विनम्र और सरल सिद्धांतों के शिक्षा और अभ्यास से दूसरों को जागृत करना।

      1 1)- आइए हम मनुष्य को प्रतिशोध से बचाएं, हमारे सामने खडी नई मानवता के लिए रास्ता तैयार करें।

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