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मानव जीवन मे बिरह के कारण क्लेश , शक,अफसोस,अनन्तउदासी एबम आहत अभिमान जो कि सिर्फ एक बहाना भर हैं
यदि हम साथ गुजरे हुवे पल में से जो अच्छा था जो खूबसूरत था उसको प्राथमिकता दि तो विरह का कस्ट असहनीय नही हो सकता ।
जब नाचते हुवे दुनिया के साथ हम भी नाचने लगते हैं तो हमे भी विरह के कारन नही छोरता ।जबकि हम दुनिया के भीर से अलग अपनी अस्तित्व स्थापित करना चाहते हैं । तब तो हमे यह सोचकर माफ करदेना चाहिए या माफी मांग लेनी चाहिए । और साथ बिताये पल की अच्छाई के यादो के साथ में तुम्हारा शुक्रगुजार हूं तुम्हारी मिठ्ठी मुस्कान के लीये, तुमसे सुने कोमल और मिठ्ठी बोलो के लीये और उन सबका जिसने एक चिरस्थाई प्रेम की आशा जगाई ।
इस तरह के मनन के बाद विरह प्रेम में तब्दील हो गईं ।
शांति शक्ति और आनन्द सभी के लिये1 Share
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