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सचेता अवस्था मे होने वाला बदलाव सुन्दर और टिकाव परिणाम देता हैं । बदलाव निरन्तर चलाने वाली प्रक्रिया हैं जिसे रोका नही जा सकता मगर दिशा बदल कर दशा बदल सकता हैं ।जिसके लिये हमें स्वम को समझना अनिवार्य हैं हमे अपने शक्ति को जागृत करना पड़ेगा और मन को शान्त एबम भावना में आनन्द को सजग भाव मे रखना पड़ेगा। अनिवार्यता और आबश्यक्ता के अन्तर को समझना परेगा । इसके लिये सिलो के बताये गये अनुभव को आत्म सात करना होगा ।प्रतिदिन अपने लिये समय निकाले अपने आन्तरिक मार्गदर्शक के बताये गये मार्ग पर चल कर ही बदलाव के इस कुपरिणाम से स्वम् के साथ अपनो को बचा पायेंगे ।
मानव से भेद भाव ना करे ।
सैद्धान्तिक जीवन जिये ।
विचार सदैव अहिंसात्मक रखे ।
भावना सदैव समानता का रखे ।
अपने आपको समझे ,अपने आप को बदले ।
प्राप्ति के लिये कर्म करने के लिये सहयोग करे।
एक समय का अच्छा भोजन देने से बेहतर हैं भोजन पाने की कला विकसित कर दीजिये।
और भी मगर अगले अंक में।
शांति शक्ति और आनन्द सभी के लिये।।
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