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++++ धीरे धीरे बिनाश के पेर समय के साथ मिलकर अपनी लीला प्रारम्भ किये।जबकि दुसरी बिनास के मजबूत पीलर देवव्रत का भीष्मप्रतिज्ञा बना राजसिंघासन पर बिराजमान ब्यक्ति हमारे पिता तुल्य होंगे हम अक्षर सह उनके आदेश का पालन करेंगे इसका सबसे ज्यादा दुरुपयोग धृतराष्ट्र ने किये अपने पुत्र मोह में और दूर्योधन ने बिनास कार्यो को पूरा करदिया ।
क…Read More -
बरी बिचित्र हैं मानवीय मोह यह आँख को नही आत्मा को अन्धी बनाती हैं क्योंकि सीभी लोग जानते है मोह में दोनों गये माया मिला ना राम । जब कुछ मिलता ही नही तो फिर हम इसे पालते ही क्यो हैं अपने अंदर ।जबकि हम अपने कार्य ही तो करने के अधिकारी हैं तब तो हमे कर्मनिष्ठ बनना चाहिये । और हमारे मार्गदर्शित ग्रन्थ रामायण और महाभारत में ही नही तमाम पंथ में अंकित…Read More
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आज के साप्ताहिक zoom मीटिंग में सिलो के संदेश का 4 पाठ पढ़े।साथ ही मनन भी किया इस पाठ के प्रमुख सीख और भावार्थ साझा कर रहा हु आप अपना महत्व पूर्ण सुझाव भी अबस्य लिखें ये आपसे आग्रह हैं ।
आज का पाठ निर्भरता था यह शब्द अपने आप मे जीवन के नीव से प्रारम्भ होती हैं ।क्योंकि हम सोचते हैं हम करते हैं हम अनुभव करते हैं और साथ ही परिणाम को भी सहस स्व…Read More -
Fourth Self Development seminar on 19/09/2021 in Zoom Meeting, total attendence was 10. Topic was Guided Experience- The Child and Discussion on valid action principle- When you force something towards an end you produce the contrary.
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मानव शरीर दो के एकीकरण से निर्मित होता हैं ।
1:-ऊर्जा
2:-प्रदार्थ
ऊर्जा चलायमान होता हैं और प्रदार्थ स्थूल । जब ऊर्जा और प्रदार्थ की एकीकरण होती हैं तो बल की उत्पत्ति होती हैं ।जिसके बाद प्रदार्थ भी गतिवान दिखता हैं ।
इसी ऊर्जा को लोग आत्मा भी कहते ये इतने सूक्ष्म और ब्यापक होते हैं कि हमारे चारों तरफ होते हुबे भी इसे हम देख नही पते…Read More - Load More Posts
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