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मानव जीवन में शांति अनिवार्य हैं क्योंकि हम यदि आपने आपको शांत रखते हैं तो हम जटिल से जटिल समस्या का समाधान के लिये हिंसारहित चिन्तन कर सकते हैं ।और बिना युद्ध के ही समाधान कर सकते हैं ।
मगर हम जब अशान्त हो कर सोचते है तो हमारा अहम हमे सही चिन्तन नही करने देती।और हम अशान्त हो हिंसा के माध्यम से समाधान करना चाहते हैं ।जब मानव ही नही रहेगा तो…Read More3 Shares -
भूख तृप्ति का स्वपन देखती है वन्दी स्वतंत्रता के लिये तरसता है पीडा आराम खोजती है और आराम खुद से थकता है।
क्या जीवन एक क्रिया प्रतिक्रिया भर है ?
शांति शक्ति और आनन्द। -
यदि एक मानव की बात की जाय तो हम दो के मिलन से एक होते हैं । जब यह शरीर धारण करता है उसके निश्चित अवधि में इसके अन्दर संचार उतपन होता हैं इसे प्राणवायु या आत्मा और भी कई नमो से जानते हैं अधिक तह लोग ।हम अपने शरीर को स्पर्श कर सकते देख सकते हैं छाया या दर्पण में ।मगर जो शरीर के अन्दर जो कार्य संचालन करबाने का कार्य करता हैं क्या कभी हम उसको छू…Read More
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आत्मा, परमात्मा , मन को यदि गहराई से समझ जय तो मेरे बिचार में इस प्रकार दिखेगा ।आत्मा शिथिल और मन चंचल एबम परमात्मा अदृश्य । आत्मा मन से भिन्न स्वभाव के मालिक होते हैं । ये तीनो ही अदृश्य हैं तो आत्मा परमात्मा का ही सूक्ष्म इकाई हुवी ना । इस पूरे बिस्व में जितने भी बस्तु हैं और जिनमे आत्मा का बासना हो वो तमाम परमात्मा स्वरूप हैं।जिसमे मानव को श्र…Read More
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ये धर्म क्या है ?
जो धारन किया जाय वही धर्म हैं या जो हम कर रहे हैं आज वो धर्म हैं ? वास्तविकता क्या है ये तो समझना अनिवार्य हैं हम एक मानव हैं हमारा क्या धर्म है फिर हमारे कई रोल(भूमिका) हैं उसका क्या धर्म हैं जैसे माँ,बाप, भाई ,बहन, पति पत्नी, लड़के लड़की । क्या सबका एक ही धर्म हैं या अलग अलग ये सोचने के लीये चिंतन करना चाहिये ।मगर…Read More - Load More Posts
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